/*! Select2 4.0.6-rc.1 | https://github.com/select2/select2/blob/master/LICENSE.md */ (function(){if(jQuery&&jQuery.fn&&jQuery.fn.select2&&jQuery.fn.select2.amd)var e=jQuery.fn.select2.amd;return e.define("select2/i18n/fr",[],function(){return{errorLoading:function(){return"Les résultats ne peuvent pas être chargés."},inputTooLong:function(e){var t=e.input.length-e.maximum;return"Supprimez "+t+" caractère"+(t>1?"s":"")},inputTooShort:function(e){var t=e.minimum-e.input.length;return"Saisissez au moins "+t+" caractère"+(t>1?"s":"")},loadingMore:function(){return"Chargement de résultats supplémentaires…"},maximumSelected:function(e){return"Vous pouvez seulement sélectionner "+e.maximum+" élément"+(e.maximum>1?"s":"")},noResults:function(){return"Aucun résultat trouvé"},searching:function(){return"Recherche en cours…"}}}),{define:e.define,require:e.require}})(); जीवन में परिश्रम - Onlinebiharportal.com

जीवन में परिश्रम

जीवन में परिश्रम का महत्वकार्यसिद्धि के लिए परिश्रम आवश्यक है। यह विश्व ही कर्म-प्रधान है। प्रकृति काकर्मनिरत है। कर्म के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव-सभ्यताअणु-अणुका विकास परिश्रम की ही देन है। श्रम स्वर्ग का निर्माण करता है और शैथिल्य नरक का।भर्तृहरि ने ठीक ही कहा है कि “उद्यमी पुरुष को ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ‘ईश्वर देगा’

“काफिला भी तेरे पीछे होगा, तू अकेले चलना शुरू कर तो सही।”

“ऐसे काम करो जिससे लोगों को लगे कि आपको जीतने की आदत है।”

ऐसा कायर ही कहा करते हैं। भाग्य और दैव को छोड़कर मनुष्य को यथाशक्ति पुरुषार्थ करना
चाहिए।” यदि प्रयास करने पर कार्य सिद्ध न हो तो यह विचार करना चाहिए कि हमारे प्रयत्न
में कहाँ कमी रह गई है। भविष्य में उस कमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। श्रम के
प्रति निष्ठा का अर्थ है. हम अपने जीवन के प्रति निष्ठावान हैं।
श्रम के प्रति निष्ठा का ही परिणाम है कि मरुभूमि में भी हरे-भरे जंगल अपने रमणीय
सौंदर्य से हमें आकृष्ट करते हैं। मानवीय श्रम से ही बड़ी-बड़ी नदियों पर पुल बनाए गए हैं,
पहाड़ों के बीच मार्ग तैयार किए गए हैं, सागर की अटल गहराई से अमूल्य वस्तुएँ प्राप्त
की जा रही है और आकाश की अनंत नील गहराई से अनेक रहस्यों को उद्घाटित किया
जा रहा है। प्रकृति के कण-कण में श्रम की लीला विराजमान है। हम जिसे जड़ समझते हैं,

“शानदार जीत के लिए, बहुत मेहनत करनी पड़ती है।”

उसके भीतर भी विकास की हलचलें विद्यमान हैं। चेतन में तो श्रम की महत्ता साक्षात रूप में
दिखाई पड़ती है। सूर्य, चंद्र, पवन आदि प्रकृति के महत्त निर्देश पर निरंतर कार्यरत हैं। चाहे
पंछी हों या कीट-पतंग, चीटियाँ हों या पशु, सभी अपने-अपने जीवन-यापन के लिए परिश्रम
करते हुए पाए जाते हैं। हमें भी प्रकृति से शिक्षा लेनी चाहिए और परिश्रम के महत्व की
स्वीकृति के साथ अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। परिश्रम करने से हमें क्या प्राप्त नहीं
हो सकता।

“मेहनत की चाबी से ही सफलता का ताला खुलता है ।”

“यदि मनुष्य कुछ सीखना चाहे, तो उसकी प्रत्येक भूल कुछ न कुछ सीखा देती है ।”

परिश्रम से जी चुराने का तात्पर्य है विफलता को आमंत्रित करना। प्रायः यह देखा
गया है कि परिश्रम की बदौलत कमजोर-से-कमजोर विद्यार्थी भी आगे चलकर विभिन्न परीक्षाओं
में बहुत अच्छा करते हैं और अपने जीवन में वांछित सफलता प्राप्त करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top